अंगकोर वाट मंदिर की शिल्प कला में राम कथा

 

Meta Description: The ancient Angkor Wat Temple in Cambodia is a beacon for Hinduism. Its bas reliefs based on Ramayana are popular. So it the Cambodian version of Ramayana.

 

 

अंगकोर वाट मंदिर की शिल्प कला में राम कथा

 

माना जाता है कि विष्णु भगवान को समर्पित अंगकोर वाट का प्राचीन मंदिर विश्व की सबसे बडी धार्मिक इमारत है। अचरज की बात है कि यह मंदिर भारत में नहीं बल्कि 4000 किलोमीटर दूर कम्बोडिया में स्थित है।

 

कम्बोडिया में हिंदु धर्म का इतिहास

 

अंगकोर वाट के परिचय से पहले वहाँ के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी आवश्यक है। यह विवरण आर सी मजुमदार की पुस्तक एन्शन्ट इन्डिया से लिया है। प्राचीन काल से भारत के दक्षिण राज्यों का व्यापार चीन तक फैला हुआ था। इस क्षेत्र में सुवर्णद्वीप (मलेशिया), चम्पा (विएटनाम), कम्बुज (कम्बोडिया), और ब्रह्मदेश (बर्मा) शामिल थे। व्यापार सम्भालने हेतु इन क्षेत्रों में भारतीय बसे थे। कम्बोडिया में, तीसरी शताब्दी ईस्वी में कौण्डिण्य नामक ब्राहमण ने एक स्थानीय रानी से विवाह कर अपना वंश आरम्भ किया। अपने राज्य में हिन्दु धर्म की स्थापना की। सातवीं शताब्दी ईस्वी में इसी वंश के जयवर्मण ने कम्बुज को संपूर्ण क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली सम्राज्य बना दिया। 1150 ईस्वी में सूर्यवर्मण ने अंगकोर वाट की स्थापना की।

 

 


 

अंगकोर वाट शब्द संस्कृत भाषा की व्युत्पत्ति है जिसका अर्थ नगर का घेरा है। मंदिर का रेखा चित्र कम्बोडिया के राष्ट्र ध्वज पर विराजमान है और यह दर्शाता है कि अंगकोर वाट का वर्तमान कम्बोडिया के लिए कितना महत्व है। हर वर्ष 70 लाख से अधिक पर्य़टक कम्बोडिया आते हैं और सभी अंगकोर वाट का लाभ उठाते हैं। इससे हिंदु धर्म की ख्याति विश्वभर में फैल रही है।

 

अंगकोर वाट शिल्प में राम कथा

 

अंगकोर वाट मंदिर में वास्तुकला की अनेक विशेषताएँ हैं परन्तु यहाँ हम रामायण पर आधारित शिल्प सामग्री की बात करेंगे। मैंने पहले भी कहा है कि राम कथा सिर्फ कागज़ पर नहीं बल्कि पत्थरों पर भी लिखी गई है। चौकटे आकार की इमारत की परिधि पर एक बाहरी गलियारा है। गलियारे की हर भुजा की दीवार पर नक्रकाशी द्वारा हिंदु इतिहासों और पुराणों की कथाएँ अंकित हैं। एक गलियारे में राम और रावण के युद्ध का बारीक चित्रन है। नक्रकाशी आरंभ से ही कम उभरी (बॅस रिलीफ) रही है। शताब्दियों के प्राकृतिक विनाश ने उसे और धुँधला कर दिया है। फिर भी चित्रन साफ़ समझ आता है। बाएँ से दाएँ आधे गलियारे तक प्रभु राम की वानर सेना आक्रमन कर रही है और दूसरी तरफ़ से राक्षस प्रतिकार कर रहे हैं। दोनो सेनाओं के चित्रन भिन्न हैं। एक तरफ़ श्रीराम बज्रंगबली के काँधों पर विराजमान तीर चला रहे हैं तो दूसरी ओर दशानन अपने रथ पर आसीन प्रहार कर रहा है।  तीन सतहों में रावण के सरों का चित्रन सामान्य विधि से अलग है।

 

 

 



 

 

 

मंदिर के कोनों और खाँचों में राम कथा के अन्य दृश्य दीवारों पर अंकित हैं। वानर राज वाली की मृत्यु की झाँकी बहुत भावुक है। वाली के पार्थीव शरीर को गोद में लिए सुग्रीव बैठा है। कुछ वानर हाथ जोडे हैं, कुछ नत मस्तक हैँ और कुछ छाती पीट रहे हैं। पार्श्व में वन के वृक्षों को अत्यन्त बारीकी से रचा गया है।

 

 

 


 

 

 

राम कथा नाट्य मंचों पर भी रची गई है। अगले ब्लोग में कम्बोडिया की रामायण पर आधारित नृत्य की झलक देखेंगे।

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