प्राण-प्रतिष्ठा

 मैं अपने आप को राम भक्त तो नहीं कह सकता, परन्तु मैं निःसंदेह राम कथा का उत्कट प्रेमी हूॅ। इसलिए अयोध्या में रामलला के प्रान प्रतिष्ठा के अवसर पर मैंने निर्णय लिया कि मैं अपना राम कथा प्रेम इस माध्यम द्वारा व्यक्त करूॅगा।


राम कथा की विस्तारता और विविधता ने मुझे मोहित कर रखा है। सदियों से दोहराई गई हरि गाथाएं अनन्त हैं और नित्य कुछ नया प्रदान करतीं हैं। जीवन के सभी पहलू इनमें मिश्रित हैं। भक्ति, उपदेश, दर्शन, मनोविज्ञान, रोमांच - सूचि अनन्त है। इस असीम सागर की कुछ बूंद मैं आपसे साझा करना चाहता हूॅ, इस आशा से कि आप भी इस यात्रा का आनंद उठाएँ।


आज मैं बस एक बात कहना चाहूँगा। रामलला का मंदिर भव्य है, प्राण प्रतिष्ठा सुखदाई रही, और जन समुदाय का उत्साह संक्रामक था। पर एक बात दिल में खटक रही है। जिस दिन प्राण प्रतिष्ठा हुई, वह 22 जनवरी थी  - इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है। पर हमारे पंचांग अनुसार तय तिथी थी पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादशी। बार बार 22 जनवरी दोहराना, हमारे संसद में भी, अनुचित है, खासकर जब हम अपनी सोषित विरासत उजागर करने के पथ पर अग्रसर हैं। यदि हम इस पावन अवसर की सालगिरह हर वर्ष 22 जनवरी को मनाए तो अनर्थ हो जाएगा।


कुछ महत्वपूर्ण तिथियां

रामनवमीः चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी

विजयदशमीः अश्विन शुक्ल पक्ष दशमी

दीपावलीः कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस

प्राण प्रतिष्ठाः पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी






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